जब तक कानूनी विकल्प हैं बाकी फांसी पर चढ़ाना पाप


नई दिल्ली,७ फरवरी। देश को झकझोर कर रख देनेवाले निर्भया मामले के चारों दोषियों को फांसी आखिर कब होगी, यह शुक्रवार को भी साफ नहीं हुआ। दिल्ली स्थित पटियाला 'हाउस कोर्ट ने फांसी की नई तारीख देने से फिलहाल इनकार कर दिया। कोर्ट ने साफ कहा कि जबतक कानूनी उपचार बाकी हैं, तबतक किसी को फांसी पर चढ़ाना पाप है। कोर्ट ने दोषियों को मिले ७ दिनों का भी जिक्र किया। आपको बता दें कि कोर्ट तिहाड़ जेल प्रशासन की याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें दोषियों के खिलाफ मौत का नया वॉरंट जारी करने की मांग की गई थी। इस पर जारी नोटिस पर दोषियों को आज अदालत के सामने अपना रुख रखना था। कोर्ट में तिहाड़ जेल के अधिकारियों की ओर से ऐडवोकेट इरफान अहमद पेश हए। उन्होंने कोर्ट को बताया कि राष्ठपति तीन दोषियों की दया याचिकाओं को खारिज कर चके हैं और इस समय चारों में से किसी की भी अर्जी. अपील या याचिका किसी भी अदालत के सामने लंबित नहीं है। दोषी पवन की ओर से सधारात्मक याचिका दायर नहीं की गई है। उसके पास दया याचिका का विकल्प भी है। निर्भया केस में शक्रवार को पटियाला हाउस कोर्ट ने नया डेथ वॉरंट जारी करने से इनकार कर दिया। फैसले से निराश निर्भया की मां ने कोर्ट को ही कठघरे में खड़ा कर दिया। अदालत ने कहा, 'जब दोषियों को कानून जीवित रहने की इजाजत देता है, तब उन्हें फांसी पर चढ़ाना पाप है। हाई कोर्ट ने पांच फरवरी को न्याय के हित में दोषियों को इस आदेश के एक सप्ताह के अंदर अपने कानूनी उपचार का इस्तेमाल करने की इजाजत दी थी। जज ने कहा, 'मैं दोषियों के वकील की इस दलील से सहमत हूं कि महज संदेह और अटकलबाजी के आधार पर मौत के वॉरेट को तामील नहीं किया जा सकता है। इस तरह, यह याचिका खारिज की जाती है। जब भी जरूरी हो तो सरकार उपयुक्त अर्जी देने के लिए स्वतंत्र है। दोषियों को फांसी देना अनैतिक होगा, जब कानून उन्हें जीने की अनुमति देता है। डेथ वॉरेट की तामील केवल अनुमान के आधार पर नहीं की जा सकती। दोषियों के खिलाफ नया डेथ वॉरंट जारी करने का अनुरोध करने वाली तिहाड़ प्रशासन की याचिका में गुणदोष की कमी है। ऐसे में इसे खारिज किया जाता है। निचली अदालत ने ३१ जनवरी को इस मामले के चार दोषियों- मुकेश कुमार सिंह (३२), पवन गुप्ता (२५), विनय कुमार शर्मा (२६) और अक्षय कुमार (३१) को अगले आदेश तक फांसी पर चढ़ाने से रोक दिया था। ये चारों तिहाड़ जेल में कैद हैं।यह अन्याय है, देखती हूं कोर्ट दोषियों को कब तक समय देता है 'आज, अदालत के पास शक्ति थी और हमारे पास समय था। कुछ भी लंबित नहीं था, फिर भी डेथ वारंट जारी नहीं किया गया। यह हमारे साथ अन्याय है, मैं देखंगी कब तक अदालत दोषियों को समय देता है और सरकार उसका समर्थन करती है।